हिंटरकैफ़ेक मर्डर मिस्ट्री: 100 साल पुराना अनसुलझा जर्मनी का सबसे भयानक क्राइम केस, जानें आखिर क्या हुआ उस रात?
जर्मनी के इतिहास का सबसे भयानक और अनसुलझा क्राइम केस जो आज भी रहस्य बना हुआ है, वो है हिंटरकैफ़ेक मर्डर मिस्ट्री। यह मिस्ट्री 100 साल बाद भी सुलझ नहीं पाई है। यह कहानी जर्मनी के म्यूनिख शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटे से गांव ग्रुबर के नजदीक एक फार्म हाउस की है, जिसका नाम हिंटरकैफ़ेक है।
यहां रहने वाले ग्रुबर परिवार का अंत जितना भयानक था, उतना ही रहस्यमयी भी। उनकी मौत से पहले जो अजीब घटनाएं हुईं, वो आज तक किसी के समझ में नहीं आ सकीं।
हिंटरकैफ़ेक फार्म हाउस: जर्मनी के सबसे भयानक मर्डर मिस्ट्री की शुरुआत
हिंटरकैफ़ेक फार्म हाउस तीन तरफ से घने जंगलों से घिरा हुआ था। यहाँ रहने वाले थे एंड्रियास ग्रुबर (63), उनकी पत्नी कैज़िलिया ग्रुबर (72), उनकी विधवा बेटी विक्टोरिया गेब्रियल (35) और विक्टोरिया के दो छोटे बच्चे, कैज़िलिया गेब्रियल (7) और जोसेफ (2)। ग्रुबर परिवार का मुख्य व्यवसाय खेती था और वे संपन्न किसान थे। इनके साथ काम में मदद के लिए एक नौकरानी भी रहती थी, जिसका नाम क्रिशचीयन रेगर था।
क्रिशचीयन रेगर और रहस्यमयी आवाज़ें
साल 1921 में नौकरानी क्रिशचीयन ने घर में कुछ अजीब हरकतें महसूस करनी शुरू कीं। एक रात उसे घर की दीवारों से टैप-टैप की आवाजें सुनाई दीं। पहले तो उसने इसे नजरअंदाज किया, लेकिन अगले दिन वही आवाजें फिर सुनाई दीं। जब उसने आवाज का स्रोत खोजने की कोशिश की, तो वह हैरान रह गई। दीवारों से आने वाली आवाजें एक जगह रुकती नहीं थीं, कभी एक दीवार से, तो कभी दूसरी दीवार से सुनाई देती थीं।
जब क्रिशचीयन ने यह बात एंड्रियास को बताई, तो उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। हालांकि, धीरे-धीरे यह रहस्यमय घटनाएं और बढ़ने लगीं। एक रात क्रिशचीयन को अटारी (घर की ऊपरी मंजिल) से किसी के चलने और फुसफुसाने की आवाजें भी सुनाई दीं। उसने डरकर एंड्रियास को बुलाया, जिन्होंने पूरी अटारी की तलाशी ली, लेकिन उन्हें कोई नहीं मिला। एंड्रियास ने इसे मन का भ्रम कहकर टाल दिया।
फार्म हाउस की रहस्यमयी घटनाओं का सिलसिला
इन घटनाओं के कारण क्रिशचीयन इतनी डरी हुई थी कि उसने अगस्त 1921 में नौकरी छोड़ दी। ग्रुबर परिवार ने एक नई नौकरानी की तलाश शुरू की, लेकिन इस बीच उनके साथ भी अजीब घटनाएं घटने लगीं। कई बार उन्हें अपने जानवर, जैसे गाय और घोड़े, बाड़े से बाहर खुले मैदान में घास चरते हुए मिलते, जबकि उन्होंने इन्हें बाड़े में बांध कर रखा था।
मार्च 1922 में एक सुबह एंड्रियास को घर के दरवाजे पर एक अखबार मिला, जो म्यूनिख शहर का था। यह अखबार उनके गांव में कोई नहीं मंगवाता था, इसलिए एंड्रियास को यह अजीब लगा। अखबार देने वाले से पूछने पर भी वह कुछ नहीं बता पाया। इसी महीने एक और घटना घटी, जब एंड्रियास ने घर के बाहर ताजा गिरी बर्फ पर किसी के पैर के निशान देखे। ये निशान जंगल की ओर से आए थे, लेकिन वापस नहीं गए थे। इसका मतलब था कि जो कोई भी था, वह घर के अंदर ही था। लेकिन एंड्रियास को ढूंढने पर भी कुछ नहीं मिला।
31 मार्च 1922: भयानक रात का आगमन
31 मार्च 1922 का दिन ग्रुबर परिवार के लिए एक शांतिपूर्ण दिन जैसा शुरू हुआ, लेकिन रात होते-होते यह दिन उनके लिए आखिरी बन गया। इसी रात को ग्रुबर परिवार का एक-एक सदस्य बेरहमी से मार दिया गया। सबसे भयानक बात यह थी कि हत्यारे ने पूरे परिवार को एक-एक कर मौत के घाट उतार दिया और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी।
जांच और रहस्य
हत्या के बाद जब पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की, तो कई अजीब बातें सामने आईं। हत्यारे ने पूरे परिवार को मारने के बाद फार्म हाउस में कुछ दिन बिताए, क्योंकि खाने-पीने का सामान और जानवरों की देखभाल की गई थी। पुलिस ने इस केस में कई पहलुओं पर जांच की, लेकिन कोई ठोस सुराग नहीं मिला।
यह मर्डर मिस्ट्री आज भी एक अनसुलझा रहस्य बनी हुई है, क्योंकि हत्यारे का पता नहीं चल सका। कुछ लोग मानते हैं कि यह किसी पागल की करतूत थी, तो कुछ इसे किसी रहस्यमय ताकत का काम मानते हैं। हिंटरकैफ़ेक मर्डर मिस्ट्री आज भी जर्मनी के सबसे बड़े और भयानक अनसुलझे क्राइम केसों में गिनी जाती है।
नतीजा: अनसुलझा रहस्य
आज, 100 साल बाद भी हिंटरकैफ़ेक मर्डर मिस्ट्री जर्मनी और दुनिया भर के क्राइम विशेषज्ञों के लिए एक पहेली है। इसे लेकर कई थ्योरीज़ बनीं, लेकिन सच्चाई क्या है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।